कानूनी रूप से अपराध के विरुद्ध उचित कार्यवाही

आज शिखा जी के ब्लॉग विचारों के चबूतरा पर एक आलेख पढ़ा और ज्ञात हुआ की एक समुदाय  फेसबुक पर  प्रो.अम्बिकेश महापात्र के कार्टून कृत्य को समर्थन दे रहा  हैं और इसे भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त ''अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ''पर प्रहार कहा जा रहा है जबकि मैं शिखा जी के आलेख से बहुत प्रभावित हुई हूँ और चाहती हूँ की आपसे  भी उस आलेख को शेयर करूँ इसलिए आपको उस आलेख का लिंक दे रही हूँ जो निम्न है-
''तो सड़कों पर पिटने और जेल जाने को तैयार रहें''
            और इसके  साथ ही  मैं आपको ये भी बता  दूं  की भारतीय संविधान  ये स्वतंत्रता   हमें आत्यंतिक रूप से नहीं देता  है बल्कि  इस  पर अनु.१९[२] के अंतर्गत प्रतिबन्ध भी लगाया जा सकता है .अनु.१९[२] में प्रतिबन्ध के निम्न आधार हैं-
१-राज्य की सुरक्षा
२-विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के हित में
3-लोक व्यवस्था
४-शिष्टाचार या सदाचार के हित में
५-न्यायालय अवमान
६-मानहानि
७-अपराध उद्दीपन के मामले में 
८-भारत की प्रभुता एवं अखंडता
        और यहाँ जो कृत्य प्रो.अम्बिकेश महापात्र  ने किया है वह न .[४] शिष्टाचार व् सदाचार का गंभीर उल्लंघन  है और जो उनके साथ किया जा रहा है वह शोषण व् अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन  न होकर  कानूनी रूप से अपराध के विरुद्ध   उचित कार्यवाही है.
                      शालिनी कौशिक 
                            [कानूनी ज्ञान]

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही अच्छी जानकारी दी अपने।


    सादर

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  2. आपने उचित जानकारी दी बताए हुए लिंक पर जा र्रहा हूँ बताने के लिए आभार,....

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  3. अशिष्ट का फैसला कौन करे ?श्लील, अश्लील ?क्या राज्य ?जिसकी लाठी उसकी भैंस ?

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  4. भगवान जानें उस कार्टून में ऐसा क्या था जिसे स्त्री की मर्यादा आदि से जोडा जा रहा हैं? क्या आपने वह कार्टून देखा भी हैं या वैसे ही उस प्रोफेसर के विरोध में लेख लिख डाला? और उनके कार्टून की तुलना हुसैन के चित्रों से करना तो हद हैं.यह कैसे तय कर लिया गया?
    ममता बैनर्जी ने रेल मंत्री के मामले में जिस तरह की राजनीतिक नौटंकी को अंजाम दिया उस पर किसीने व्यंग्य किया तो वह स्त्री की गरिमा के ही खिलाफ हो गया??
    ऐसे तो फिर महिला चाहे कितनी भी गलत हो कोई उसकी आलोचना कभी कर ही नहीं पाएगा.नरेंद्र मोदी का जो कार्टून एक पत्रकार ने बनाया था उसमें मान सकते हैं कि वह अश्लील था,उसमें नरेंद्र मोदी को निर्वस्त्र दिखाया गया था लेकिन ममता के कार्टून में तो कहीं से भी मर्यादा का उल्लंघन नहीं हुआ हैं.वैसे भी ममता दीदी को अपने खिलाफ कुछ सुनने की आदत नहीं हैं ये उनके कुछ हालिया फैसलों से तय हो गया हैं.

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  5. पहली बार इस ब्लाग पर आया हूँ। अच्छा प्रयास है, जारी रहे।

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  6. "कानूनी रूप से अपराध के विरुद्ध उचित कार्यवाही"...
    पहली बार इस ब्लाग पर आया हूँ। अच्छा प्रयास है,
    http://merakinaara.blogspot.in/2012/07/blog-post.html

    जवाब देंहटाएं

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